गोरखनाथ मंदिर और ज्वाला देवी से जूड़ा अनोखा संबंध, आइये जानते है इस संबंध के बारे में

15 जनवरी को पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा है। यह त्योहार खिचड़ी के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि गोरखपुर में भगवान गोरक्षनाथ रहा करते है और उनका सबसे पसंदीदा भोजन खिचड़ी होता है। यही वजह रही है कि भगवान गोरक्षनाथ को मंकर संक्रांति पर खिचड़ी चढ़ाई जाती है। उसके बाद प्रसाद के तौर पर भी भक्तों को भी खिचड़ी दी जाती है। भगवान गोरक्षनाथ को पहली खिचड़ी गोरक्षपीठाधीश्वर में चढ़ाई जाती हैं और नेपाल नरेश की खिचड़ी चढ़ाई जाती है। आपको बता दें कि गोरखनाथ मंदिर और ज्वाला देवी का एक अलग कनेक्शन है। इसके पूरा जानने के लिए हमें नीचें पढ़ना होगा। 


कहा जाता है कि भगवान गोरक्षनाथ ज्वाला देवी के घर पर खाना खाने के लिए गए थे| लेकिन वहां पर उनको तामसी भोजन दिया गया था जिसको खाने से उन्होंने साफ मना कर दिया था। ज्वाला देवी को वहा से हटानें के लिए गोरक्षनाथ ने उन्हें पानी गर्म करने के लिए कहा और वो वहा से भिक्षाटन के लिए निकल गए। वो गोरखपुर तक पहुंचे ही गए थे लेकिन जिस खप्पर में वो भिक्षाटन कर रहे थें वह आज तक नहीं भर पाया है। इसी की वजह से वहां पर उन्होंने तपस्थली बना ली और वहां रहने लग गए। 


बताया जाता है कि हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी में जो पानी उबल रहा है वह पानी गोरक्षनाथ के लिए खिचड़ी बनाने के लिए उबल रहा है। 


गोरक्षनाथ मंदिर का नेपाल से भी काफी गहरा नाता रहा है। यहां के राजवंश परिवार का उद्भव भगवान गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से ही हुआ है। बताया जाता है कि यही वजह है कि भगवान को दूसरी खिचड़ी नेपाल नरेश की भी चढ़ाई जाती है।