मनुष्य की कर्तव्य परायणता ही उसके लिए सफलता की कुंजी है। मनुष्य को अपने अंदर समाहित दुर्व्यसनों का त्याग कर सत्कर्म का मार्ग अपनाने से धन, जन तथा यश में वृद्धि होती है।
कलिकाल के चक्र को समझने के लिए मनुष्य को धर्म का मार्ग अपनाना होगा।
मनुष्य की कर्तव्य परायणता ही उसके लिए सफलता की कुंजी है। मनुष्य को अपने अंदर समाहित दुर्व्यसनों का त्याग कर सत्कर्म का मार्ग अपनाने से धन, जन तथा यश में वृद्धि होती है।
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